Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -27-Feb-2022

             सुन्दर
सुन्दर मन हो सुन्दर तन हो।
वो संगम बड़ा दुर्लभ होता है।
जो हो जाए इस युग में सम्भव,
तो उसका तुल्य कौन कहा हुआ है।
कोई मन से दूषित कोई तन से
इस धरती का मानो दुर्भाग्य हुआ है।
सुन्दर केवल चित्र रह गए,
अब चरित्र का हाल बुरा हुआ है।
सुंदरता की असल परिभाषा
शब्दों में ना आकीं जाए,
जो समझना हो सुन्दर का
अर्थ तो खुद को सुन्दर बना दिया जाए।
वहाँ आपका मन और तन दोनों मिलकर
कार्य करे, तभी समावेश हो पाएगा।
सिर्फ सुन्दर तन ही काफी नहीं
मन का संयोजन भी आंका जाएगा।
क्यूँ कला रंग आज भी लोगों को
भाता है, सीधा है स्वभाव उसका उस पर ना कोई दूजा रंग चढ़ पता है।
एक प्रमुख बात ये भी है सुनो!
सुन्दर आंखे भी होनी चाहिए
जो देखे उसमें सुन्दरता ढूंढे, इस
काबिल बन जाना चाहिए। तो सुन्दर
कोई चीज नहीं मन का एक निर्मल
भाव है बस वहीं है असल सुन्दर जो
निर्मल, निश्चल भाव के sat

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5 Comments

Rekha mishra

27-Feb-2022 11:48 PM

Thanks to all

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Swati chourasia

27-Feb-2022 09:56 PM

Very nice 👌

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Simran Bhagat

27-Feb-2022 04:22 PM

Good👍🏻👍🏻

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